Hastmaithun Se Aayi Kamjori Ka Ayurvedic Ilaj
हस्तमैथुन से आई कमज़ोरी का आयुर्वेदिक इलाज
हस्तमैथुन(Masturbation, Onanizm)
हस्तमैथुन कोई बीमारी या रोग ही नहीं है, बल्कि यह युवा पुरूषों और स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला एक घृणित और बुरी लत है। इस हस्तमैथुन की लत में व्यक्ति काम के वशीभूत होकर स्वयं ही अपने वीर्य को हाथों या जाँघों की रगड़ से या नरम मुलायम वस्त्र, स्पंज, चमड़े और रबड़ की थैलियों द्वारा या तकिये की रगड़ से निकाल लेता है। इसके अलावा हस्तमैथुन के लिए और भी कई रास्ते व उपया स्त्री-पुरूष द्वारा अपनाये जाते हैं और वीर्य का नाश किया जाता है।
हस्तमैथुन के मुख्य कारण-
1. अकेले में ज्यादा समय गुजारना।
2. तन में कामवासना का बहुत ज्यादा होना।
3. गंदी सोच और विचार।
4. निर्वस्त्र सुंदर स्त्री के चित्र देखना।
5. बुरी संगति।
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6. हर वक्त खूबसूरत स्त्रियों व लड़कियों के विचारों में खोये रहना।
7. सिनेमा और संभोग प्रिय गंदी स्त्री के सम्पर्क में रहना आदि, जिनसे इस बुरी आदत(हस्तमैथुन) की लत व्यक्ति को पड़ जाती है।
दरअसल व्यक्ति जब कामवासना के वशीभूत होता है और उसके पास अपनी काम-पिपासा को शांत करने का कोई साधन(पत्नी या अन्य कोई स्त्री) नहीं होता है, तब वह मजबूरन अपनी हवस को शांत करने के उद्देश्य से हस्तमैथुन करने को लालायित हो जाता है और अपने वीर्य को अप्राकृतिक तरीके से निष्कासित कर लेता है। फिर धीरे-धीरे वह इस बुरी आदत में फंसता ही चला जाता है और निरंतर हस्तमैथुन करने लगता है। यहां तक कि बिना उत्तेजना के भी यह ‘कार्य’ करने लगता है।
हस्तमैथुन के परिणाम-
इस शर्मनाक काम को पूर्ण करने से अपूर्ण या कच्ची मैथुन इच्छा की अधिकता, स्वप्नदोष, धातु रोग, शीघ्रपतन, नपुंसकता, लिंग में ढीलापन, लिंटा छोटा, टेढ़ा व कमजोर हो जाना आदि समस्या हो जाते हैं।
हस्तमैथुन के लक्षण-
हस्तमैथुन का आदि व्यक्ति निराश, हिम्मत की कमी, किसी भी काम में मन न लगना, अपने व्यवसाय से भी मोह छूटना, हमेशा एकांत में रहने की इच्छा मन में जागृत रहना, चिड़चिड़ापन और भयभीत प्रवृत्ति का होना, खून की कमी, पांचन तंत्र में विकार, पुराना नजला, याददाश्त कमजोर हो जाना, स्नायु दुर्बलता जैसे रोग हो जाते हैं।
इसके अलावा लिंग संबंधी विकार आने लगता है, पेशाब के समय लिंग में जलन व गुदगुदी प्रतीत होती है, कमर में दर्द की शिकायत रहती है, हथेलियों और तलुवों में तीव्र जलन सी महसूस होती है, चेहरा कांतिहीन हो जाता है और पीला दिखने लगता है, नजरें कमजोर हो जाती हैं, गाल पिचके हुए लगते हैं, लिंग में ढीलापन व छोटी मामूली सा दिखने लगता है और किसी एक ओर को टेढ़ी हो जाती है। यहां तक कि आखिरी में परिणामस्वरूप व्यक्ति में नामर्दी के लक्षण भी पैदा होने शुरू हो जाते हैं।
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हस्तमैथुन के विकारों को नष्ट करने वाले योग-
1. देशी बबूल की कच्ची फली(जब तक बीज न पड़ें) लेकर उनका रस निकाल कर शीशी में भर लें। 200 ग्राम धारोष्ण दुग्ध में 3 ग्राम रस निकाल कर रोजाना 15-20 दिन सेवन किया जाये तो खूब बल बढ़ता है। धातु पुष्ट होती है।
2. साबुत ईसबगोल 10 ग्राम, मिश्री का चूर्ण 6 ग्राम रात को ताजा पानी के साथ फंकी लेकर सो जायें। इस भांति 2-3 महीने तक सेवन करने से आश्चर्यजनक बल-वृद्धि होती है।
3. 250 ग्राम इमली के बीजों को 24 या 36 घण्टे तक पानी में भिगोकर उन्हें तेज चाकू से काटकर मिंगी अलग कर लें। इन मिंगियों को छाया में सुखाकर रख लें। इन
मिंगियों को 10-15 ग्राम मात्रा में लेकर उसमें समभाग मिश्री का चूर्ण मिलाकर नित्य सुबह-शाम खाली पेट 300 ग्राम उबले हुए दूध में डालकर सेवन करें। केवल 22 दिन का सेवन ही पर्याप्त बलप्रदायक सिद्ध होता है।
4. ईसबगोल की भुसी 10 ग्राम, शक्कर या मिश्री का चूर्ण 10 ग्राम और देसी घी 10 ग्राम मिलाकर एक माह या 40 दिन तक सेवन करने से धातु वृद्धि व धातु पुष्टि होती है।
5. लाजवन्ती के बीज 5 ग्राम मात्रा में लें और उन्हें 250 ग्राम गरम दूध में डालकर पी जायें। 21 दिन के नियमित सुबह-शाम के सेवन से धातु पुष्ट होकर बल बढ़ता है।
6. 20-25 ग्राम चने की साफ दाल लेकर उसे रात को एक कटोरा पानी में भिगो दें। सुबह पानी को फेंक कर दाल निकाल लें और उसमें 6-7 ग्रा शुद्ध शहद डालकर चबा-चबा कर खायें। ऊपर से 300 ग्राम गाय का धारोष्ण(ताजा) दूध पीयें। 40 दिन के नियमित सेवन से खूब बल मिलता है और हस्तमैथुन से आई कमजोरियों का नाश होता है।
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7. छोटी दूब 10 ग्राम तथा मिश्री का चूर्ण 20 ग्राम लेकर उसे 250 ग्राम दूध में डालकर सुबह-शाम नियमित रूप से 2-3 महीने तक सेवन करें तो स्वप्नदोष, प्रमेह आदि धातु रोग नष्ट होते हैं। खूब बल-वृद्धि होती है।
8. सफेद मूसली का चूर्ण 5 ग्राम तथा मिश्री का चूर्ण 5 ग्राम मिलाकर फंकी मारें। ऊपर से एक गिलास ताजा पानी पीयें। यह प्रयोग रात को सोते समय नियमित रूप से 40 दिन तक करें तो खूब बल बढ़ता है। इसके साथ ही अप्राकृतिक तरीके से वीर्यनाश की भरपाई होती है।
9. कौंच के बीज 20 ग्राम, गोखरू 20 ग्राम, उटंगन के बीज 20 ग्राम, तालमखाना 20 ग्राम। इन चारों वस्तुओं को कूट-पीसकर साफ शीशी में भरकर रख लें। इस योग की मात्रा 10 ग्राम सुबह तथा 10 ग्राम शाम को 20 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर मीठा किये हुए 300 ग्राम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करें, तो नामर्द भी मर्द बन जाता है। हस्तमैथुन के द्वारा नष्ट किये गये वीर्य की पूर्ति भी होती है। वीर्य धारण शक्ति में वृद्धि होती है।
Hastmaithun Se Aayi Kamjori Ka Ayurvedic Ilaj
10. गोखरू 10 ग्राम और मिश्री का चूर्ण 10 ग्राम को 300 ग्राम गरम दूध में डालकर नित्य सुबह सेवन करें। केवल 21 दिन तक नियमित रूप से दवा ली जाये तो खूब बल बढ़ता है।
11. सालममिश्री 10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। फिर उसमें थोड़ा-सा देसी घी मिलाकर आधा लीटर कच्चे दूध में डालकर उबलने के लिए रख दें। जब अध-औटा हो जाये तो उतार कर ठंडा कर लें। गुनगुना रहने पर पी लिया करें। रोज सुबह-शाम 21 दिन तक सेवन करने पर बल-वर्द्धन होता है।
12. कतीरा-गोंद 100 ग्राम लेकर उसे शुद्ध देशी घी में तलें। जब तल जाये तो ठंडा करके बारीक पीस लें। फिर उसमें 15 ग्राम ईसबगोल की भूसी तथा 5 ग्राम तबासीर मिलाकर शीशी में भर लें। इसमें से 15 ग्राम मात्रा में खाकर ऊपर से 250 ग्राम गाय का धारोष्ण दूध पीयें। 40 दिन के सेवन से वीर्य पुष्ट होता है, कब्ज़ दूर होती है। स्वप्नदोष आदि वीर्य-विकार मिटते हैं।
13. नागौरी असगन्ध 50 ग्राम, काली मूसली 50 ग्राम तथा तालमखाने के बीज 50 ग्राम लेकर उन्हें कूट-पीसकर कपड़छन चूर्ण बना लें और स्वच्छ शीशी में भरकर रख लें। तीन ग्राम दवा प्रातःकाल और 3 ग्राम दवा सायंकाल मिश्री मिले हुए गरम दूध के साथ सेवन करें तो एक महीने में ही शरीर पुष्ट हो जाता है।
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