Hastmaithun Kya Hai Aur Iske Nuksan Kya Hain
हस्तमैथुन क्या है और इसके नुकसान क्या हैं
हस्तमैथुन वह मैथुन है जिसमें हस्त(हाथ) की सक्रियता से वीर्य या रज का क्षरण होता हो।
‘मैथुन’ शब्द इसलिए हाथ(हस्त) के साथ जुड़ा है कि मैथु जैसे आनंद की प्राप्ति के लिए हो ऐसा किया जाता है। परिभाषा में मात्र वीर्य ही नहीं, बल्कि ‘रज’ क्षरण की भी बात कही गई है, क्योंकि हस्तमैथुन मात्र पुरूष ही नहीं, स्त्रियां भी करती हैं।
जब पुरूष कामातुर हो और सम्भोग की सुविधा नहीं होती है, तो एकांत की स्थिति में हाथ स्वतः लिंग पर चला जाता है। फिर धीरे-धीरे कामुकता इतनी प्रबल हो जाती है कि हस्तमैथुन करने वाले पुरूष को लगता है कि वह वास्तविक रूप से किसी स्त्री के संग शारीरिक मिलन कर रहा है और फिर एक क्षण ऐसा भी होता है कि कामुकता के आवेग में पुरूष का वीर्य स्खलित हो जाता है। ये सब क्रिया-कलाप ही हस्तमैथुन की परिभाषा है।
हस्तमैथुन करें या नहीं?
यदि पत्नी से लंबे समय के लिए या लंबे समय तक दूर रह रहे हों या शादी न होने के कारण या किसी अन्य कारण से संभोग से दूर रहने को बाध्य हों। संभोगरत नहीं होने से बराबर स्वप्नदोष हो जाता हो, तो कभी-कभी या महीने में 1-2 बार हस्तमैथुन कर लेना स्वास्थ्य के लिए इतना बुरा नहीं है, जितना प्राचीन मतों के अनुसार बतलाया गया है।
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हां, इसमें भी उचित नहीं है। यदि महीने में 1-2 बार से अधिक करना प्रारम्भ कर दिया जाये तो दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है जैसे-
1. जननेन्द्रिय स्त्री की हो या पुरूष की, अति संवेदनशील होती है। बार-बार के घर्षण से यह संवेदनशीलता नष्ट हो जाती है। परिणामतः प्राकृतिक संभोग में भी आनंद नहीं आता है। लिंग प्रवेश से भी स्त्री आनंद का अनुभव नहीं करती है। धीरे-धीरे संभोग से विरक्ति हो जाती है। ऐसी स्त्रियों को शीत स्वभाव या ठण्डा पड़ जाना भी कहते हैं, जिनमें संभोग की इच्छा जगती ही नहीं है।
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2. पुरूष भी इसके शिकार हो जाते हैं, जिनमें अधिक घर्षण(मर्दन) से संवेदनशीलता के अभाव में लिंग में उत्तेजना नहीं आती है। जिसके कारण संभोग में असफल रहने लगते हैं।
3. इसकी आदत पड़ जाने से अति की ओर कदम बढ़ने लगता है। परिणामतः स्त्री हो या पुरूष अनेक रोगों के शिकार हो जाते हैं जैसे-
लड़कियों में रोगों की उत्पत्ति-
1. धीरे-धीरे विवाह के प्रति वितृष्णा(उपेक्षा)।
2. मासिकस्राव में गड़बड़ी होना।
3. हिस्टीरिया का शिकार होना।
4. स्तनों का ठीक से नहीं उभरना।
5. गर्भाशय एवं डिम्बाशय में विकृति होना।
6. गर्भाधान की क्षमता कम हो जाना।
7. चेहरा कांतिहीन होना।
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लड़कों में रोग की उत्पत्ति-
1. धीरे-धीरे वास्तविक संभोग से विरक्ति।
2. जननेन्द्रिय की संवेदनशीलता का ह्नास।
3. संभोग क्षमता का कम या न होना।
4. वीर्य पतला हो जाने से स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह आदि होना।
5. स्मरणशक्ति का अभाव एवं हीनभावना से ग्रस्त होना।
6. मानसिक तनाव में क्रमशः वृद्धि।
7. कम आयु या युवावस्था में ही वृद्ध लगना।
8. पाचनसंस्थान में गड़बड़ी हो जाना।
Hastmaithun Kya Hai Aur Iske Nuksan Kya Hain
इनके अतिरिक्त लिंगेन्द्रिय के मूल में तीन बड़ी नसों का संगम होता है-
1. उदिभजन(Nerves of Organic Life)
2. बुद्धि विषयक नसें(Nerves of Intellectual Life)
3. मनोविकार(Nerves of Animal Life)
इनमें बुद्धि विषयक नसों एवं मनोविकार का पारस्परिक गहरा संबंध होता है। हस्तमैथुन के दुष्प्रभाव से ये नसें कमज़ोर हो जाती हैं। इसके परिणाम स्पष्ट हैं।
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