Hastmaithun Ke Karan, Lakshan Aur Desi Upchar
हस्तमैथुन के कारण, लक्षण और देसी उपचार
हस्तमैथुन-
हाथ से लिंग को सहलाकर जो मैथुनिक आनंद आता है और वीर्य स्खलन किया जाता है इसी को ‘हस्तमैथुन’ कहते हैं।
कारण-
युवावस्था होने के बाद व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है। मुख्य कारण एकांत में रहने या फिर अश्लील वातावरण में रहना, जहां स्त्री या पुरूष अपने गुप्तांगों को दिखाने में भी नहीं हिचकते और न ही अश्लील चर्चा में संकोच करते हैं, अश्लील चित्र देखते और अश्लील उपन्यास और कहानियाँ पढ़ते हैं, अंग प्रदर्शन सिनेमा देखते हैं, किसी को संभोगरत अवस्था में देखना, अपने गुप्तांगों को अकेले में बार-बार देखना, गुप्तांगों की सफाई न करना, लिंग में खुजली(त्वचा रोग) होना, खुजलाते-खुजलाते लिंग का मर्दन करना या सहलाना, बार-बार अपने बीते मैथुनक्रिया की कल्पना में खो जाना आदि मुख्य कारण हैं।
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लक्षण-
बराबर एकांत में रहना, स्वभाव में लज्जालुपन व अकारण डरा हुआ, उदास रहना, अपने आप में खोये रहना, स्वरभंग, स्मरण शक्ति का कमजोर होना, सुस्ती का अनुभव होना, स्वर कर्कश, अरूचि, कब्ज़ होना, लैंगिक दुर्बलता, शिथिल एवं अस्वभाविक हो जाना, चक्कर एवं सिरदर्द, कान में कई प्रकार की आवाजें आना, सुनने की शक्ति का ह्नास होना, आंखों का अंदर धंस जाना, आंखों के चारों ओर काले दाग हो जाना, बीच-बीच में स्वप्नदोष होना, चेहरा कांतिहीन होना, शरीर दिन-प्रतिदिन निर्बल होते जाना आदि।
हस्तमैथुन के रोगी की बिना पूछे कैसे पहचान करें?
1. अन्य लोगों से अलग-अलग कटा-कटा रहना।
2. रोगी शरीर से क्षीण, मन से डरपोक एवं दुःखी रहता है।
3. हमेशा लज्जा से सिर झुका रहता है।
4. आंखों के चारों ओर काले घेरे जैसा दाग दिखाई देता है।
5. स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।
6. रोगी कोई भी कार्य सही ढंग से नहीं कर पाता है।
परिणाम-
समय पर चिकित्सा करें। रोगी की इच्छाशक्ति को जगायें, जिससे पुनः इस ओर आगे कदम न बढ़ायें और शारीरिक क्षति को पूरा करके सामान्य जीवन जीना आसान हो जाये। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो रोगी जटिल रोगों का शिकार हो जाता है। विशेषकर मेरूदण्ड के रोग, मस्तिष्क रोग, प्रमेह, बहुमूत्र, अजीर्ण, पित्त विकार, सुस्ती, आत्महत्या की इच्छा, अचानक मुच्र्छित हो जाना, उन्माद, बवासीर, भगन्दर, टी.बी.(यक्ष्मा), क्षय-कास, संग्रहणी, स्वप्नदोष, प्रमेह, शीघ्रपतन, नपुंसकता तथा बाँझपन आदि रोग हो जाते हैं। रोगी इन रोगों में से एक या अधिक का शिकार हो जाता है।
हस्तमैथुन की आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा-
1. बिल्व पत्र(बेलपत्र) का रस 10 से 20 मि.ली. नित्य सुबह-शाम सेवन करने से कामेच्छा नियंत्रित हो जाती है, जिससे धीरे-धीरे हस्तमैथुन की ओर से ध्यान हट जाता है। हस्तमैथुन की इच्छा दमन के लिए यह सफल याग है।
2. धनिया का हिम(शीत कषाय) अनुपान या सहपान के रूप में सेवन करने से लाभ होता है।
Hastmaithun Ke Karan, Lakshan Aur Desi Upchar
3. गोखरू फल और तिल समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 3 से 6 ग्राम बकरी के दूध के साथ सेवन करने से हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।
4. शोधित कुचला 60 से 120 मि.ग्रा. शहद के साथ सुबह-शाम लेने से हस्तमैथुन जतिन दुष्प्रभाव(विकार) दूर हो जाते हैं।
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